
नवरस और देवी शिल्प इस शब्द श्रृंखला का अंतिम पुष्प प्रस्तुत है, शांत रस। इस नवरात्रि उत्सव के दौरान, देवी जगन्माता के शृङ्गार, हास्य, करूण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स और अद्भुत जैसे अष्टरसयुक्त विभिन्न स्वरूप, तत्त्वों का अवलोकन किया है। Read More …
नवरस और देवी शिल्प इस शब्द श्रृंखला का अंतिम पुष्प प्रस्तुत है, शांत रस। इस नवरात्रि उत्सव के दौरान, देवी जगन्माता के शृङ्गार, हास्य, करूण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स और अद्भुत जैसे अष्टरसयुक्त विभिन्न स्वरूप, तत्त्वों का अवलोकन किया है। Read More …
दिव्यश्चानन्दजश्चैव द्विधा ख्यातोऽद्भुतो रसः | रससिद्धांत में शृङ्गार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक और वीभत्स रस के बाद, जिस रस का वर्णन किया है वह अद्भुत रस है। भरतमुनि का नाट्यशास्त्र, अद्भुत रस के दो भेदों की व्याख्या करता है। Read More …
नवरस और देवी शिल्प की आलेख शृंखला मे सातवा रस, वीभत्स रस आज के भाग का विषय है । अबतक देवी के विभिन्न विग्रह और उनसे प्रतीत होनेवाले नवरस जैसे शृङ्गार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर और भयानक रस, इनका परामर्श Read More …
नवरस और देवी शिल्प इस शृंखला में अबतक उमामहेश्वर आलिंगन प्रतिमा में अंकुरित होनेवाले रसराज शृङ्गार की जानकारी ली। कांची के कैलासनाथ मंदिर के उत्कीर्ण सप्तमातृका पट में निर्मित हास्य रस की झलक देखी। देवी त्रिपुरा के स्वरूप मे करुण Read More …
बलपराक्रमशक्तीप्रतापप्रभावादीभिर्विभावैरुत्पद्यते बल, पराक्रम, शक्ती, प्रताप और प्रभाव इन विभावों से उत्पन्न होनेवाला रस वीर रस कहलाता है। उत्साह यह वीर रस का स्थायीभाव है, इसलिए वीर रस को सात्विकता प्राप्त होती है। वीरता के रस में दया-वीर, दान-वीर, धर्म-वीर और Read More …
रससिद्धांत में शृंगार, हास्य और करुण रस के बाद रौद्र रस का स्वरूप प्रकट किया गया है। इस रस निष्पत्ती का स्थायीभाव क्रोध है। इसलिए जब रुद्र रस अभिव्यक्त किया जाता है, तो उत्साह, आवेग, शीघ्रता, उग्रता और उत्तेजना दिखाई Read More …
अब तक हमने शृंगार रसपूर्ण उमामहेश्वर अलिंगन प्रतिमा और हास्य रस की अभिव्यक्ति करनेवाला सप्तमातृका शिल्पपट देखा है । नवरस और देवी शिल्प की आज तिसरी कड़ी प्रस्तुत है, करुण रस – त्रिपुरा । शोक यह करुण रस का स्थायीभाव है। Read More …
नवरस और देवी शिल्प में शृंखला के पिछले भाग में उमामहेश्वर आलिंगन प्रतिमा और उनकी शिल्पाभिव्यक्ति से उमड़ने वाले शृङ्गाररस के बारे मे देखा, इस भाग में हम देवी शिल्प और उससे जुड़े हास्य रस का परामर्श लेंगे । रससिद्धांत Read More …
प्राकृतिक शक्ति और सौंदर्य का मनोहारी संगम देवी पार्वती है और शिव सत्य है। देवी के विभिन्न रूपों में पार्वती का स्वरूप सुंदरता, मधुरता और अनुराग से परिपूर्ण है। यही कारण रहा है कि उमामहेश्वर यह दम्पति प्राचीन भारतीय काव्य, Read More …
महाविद्या महामाया महामेधा महास्मृतिः |महामोहा च भवती महादेवी महासुरी || देवी स्वयं विभिन्न तत्त्वबोध करानेवाली तत्त्वरूपा है | कभी वह आपने प्राकृतिक स्वरूप से मोहनेवाली प्रकृतिरुपा होती है, तो कभी वह असुरों का विनाश करनेवाली दुर्गा होती है | महाविद्या, Read More …